शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

तुम तो ठहरे परदेसी

तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम तो तपसितों की तरह
बन में मन लगोगे...
तुम तो ठहरे बनबासी.....
बन में मन लगोगे ...
धनुष फेंक कर धनुधर...
लेके बंदरिया बन्दर..
डगर डगर डुग डुग डुग
डुग डुगी बजाओगे ..
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम धरा की धरोहर में..
मनोहर सरोवर है...
किस किस सरोवर में..
डुबकियाँ लगोगे
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...

:ramkhelawan
तुम तो ठहरे परदेसी

तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम तो तपसितों की तरह
बन में मन लगोगे...
तुम तो ठहरे बनबासी.....
बन में मन लगोगे ...
धनुष फेंक कर धनुधर...
लेके बंदरिया बन्दर..
डगर डगर डुग डुग डुग
डुग डुगी बजाओगे ..
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम धरा की धरोहर में..
मनोहर सरोवर है...
किस किस सरोवर में..
डुबकियाँ लगोगे
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...

:ramkhelawan
तुम तो ठहरे परदेसी

तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम तो तपसितों की तरह
बन में मन लगोगे...
तुम तो ठहरे बनबासी.....
बन में मन लगोगे ...
धनुष फेंक कर धनुधर...
लेके बंदरिया बन्दर..
डगर डगर डुग डुग डुग
डुग डुगी बजाओगे ..
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...
तुम धरा की धरोहर में..
मनोहर सरोवर है...
किस किस सरोवर में..
डुबकियाँ लगोगे
तुम तो ठहरे बनबासी...
बन में मन लगोगे...

:ramkhelawan

बुधवार, 1 मई 2013

वर दे
वर दे विद्या को भर दे अपूर शक्ति
तेरे गुण गौरव के गान नित्य गाऊंगा
साहित्य सुधा के पद लाइये न देर कर
शारदे समुद्र कविता कप लहराऊंगा
संभव है की अशुद्ध शब्द ही निकले
जिसके लिए पहले से क्षमा चाहता हूँ
प्रथम परमेश्वर को बाद में पहले अपने गुरु को
फिर माता सरस्वती को सुमिर कर गाता हूँ
वर दे विद्या को भर दे अपूर शक्ति

Dwara: Ramkhelawan Singh