बुधवार, 1 मई 2013

वर दे
वर दे विद्या को भर दे अपूर शक्ति
तेरे गुण गौरव के गान नित्य गाऊंगा
साहित्य सुधा के पद लाइये न देर कर
शारदे समुद्र कविता कप लहराऊंगा
संभव है की अशुद्ध शब्द ही निकले
जिसके लिए पहले से क्षमा चाहता हूँ
प्रथम परमेश्वर को बाद में पहले अपने गुरु को
फिर माता सरस्वती को सुमिर कर गाता हूँ
वर दे विद्या को भर दे अपूर शक्ति

Dwara: Ramkhelawan Singh